Bihar के बाद अब BJP की निगाहें Jharkhand की ओर भी सख्त निगाहों से देख रही है, Hemant Soren को लागतार ED सम्मन कर पूछताछ के लिए बुला रही है, यूं तो भाजपा लागतार झारखंड में सरकार को अस्थिर करने में लगी रही है, लेकिन अब बिहार पर काबू आने के बाद उनका हौसला और भी ज्यादा बुलंद हो गया है, झारखंड में ED मानो भाजपा ही बन गई है , यहां शब्दों को समझने में कन्फ्यूज मत हो जाइए, क्योंकि सम्मन तो ED ने भेजा है मगर 11 हजार का इनाम हेमंत सोरेन पर BJP दे रही है, लेकिन झारखंड में सरकार गिराने की साजिश भाजपा की हमेशा ही नाकाम हो जाती है।
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आदिवासियों के राज्य में क्यों नहीं पच रहा आदिवासी मुख्यमंत्री ?
बाबूलाल मरांडी को घर वापसी करवा कर भाजपा ने आदिवासी तबके को तो कन्फ्यूज किया हुआ है, लेकिन भाजपा इस बात का जवाब नही दे पा रही की उन्हें झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री पच क्यों नही रहा है?
लेकिन Hemant Soren की राजनीतिक नीतियां और आदिवासियों के मुद्दे को जोर शोर से उठाने पर अक्सर जनता ने उन्हें सरहाया है, लागतार ED द्वारा सम्मन के बाद अब ED लागतार उनके ठिकानों पर छापे मार रही है जिसके बाद हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की अटकलें तेज हो गई है।
हेमंत का हौसला क्यों है बुलंद?
इन तमाम मुद्दों पर Hemant Soren बिलकुल भी विचलित नहीं नजर आरहे उन्हें पता है की उनके पार्टी में कईं ऐसे भरोसेमंद लोग है जो इनका साथ देंगे , साथ ही हेमंत सोरेन की पत्नी भी CM पद की शपथ ले सकती है, इसके अलावा भी कई मुख्यमंत्री के भरोसे मंद दावेदार पार्टी में है, कबीले के नेता चंपई सोरेन, भाई बसंत सोरेन समेत कईं भरोसेमंद दावेदार है ।
राज्य के पहली महिला मुख्यमंत्री, बदल सकती है राजनीतिक हवा !
भाजपा भी इस बात को जानती है की अगर हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी Kalpana Soren को मुख्यमंत्री बनाया तो ये राज्य की पहली युवा आदिवासी मुख्यमंत्री होंगी जो जनता को अपनी तरफ खूब ज्यादा आकर्षित करेगी और आदिवासी समाज को गौरवांवित करेगी, हेमंत सोरेन की तमाम विधायकों के साथ बैठक हो चुकी है और उन्होंने लगातार इस कार्यवाही को भाजपा की चाल और एजेंडा बताया है, इससे पूर्व भी झारखंड में सरकार अस्थिर होने की खबरें हमेशा से चर्चा का केंद्र बनी रहीं है, जिसपर Hemant Soren के फैसले के इंतजार में उनकी पार्टी के लोग समेत पूरी जनता रही है, भाजपा की जोड़ तोड़ की राजनीति उस वक्त भी देखने को मिली थीं जब इरफान अंसारी समेत कांग्रेस के तीन विधायक 50 लाख कैश के साथ बंगाल में धराएं थे, जिसके बाद राजनीतिक नोकझोक का सिलसिला झारखंड में देखने को मिला मगर हेमंत ने उस वक्त भी अपनी राजनीतिक शैली से सरकार को मजबूती से खड़ा रखा है, हेमंत सोरेन को भले ही गद्दी विरासत में मिली हो मगर राज्य को आगे बढ़ाने में आदवासियों और मूलनिवासियों की तरक्की के पीछे का मुख्य कारण भी हेमंत सोरेन को बताया जारा है, शिक्षा और स्वास्थ्य समेत कईं मुद्दों पर सरकार ने काम किया है, जिसकी सराहना जनता लगातार करती है।
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हेमंत छोड़ देंगे INDIA एलायंस का साथ?
झारखंड में तख्तापलट करना ही भाजपा का मुख्य मकसद नही है बल्कि भाजपा अपने सामने खड़े इंडिया एलायंस को भी कमजोर करने के लिए साम दाम दण्ड भेद लगाते हुए नजर आ रही है, सहयोजक की भूमिका निभा रहे नीतीश को वापस से अपने साथ शामिल करना जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी के दरवाजे हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गए थे, ये कहीं न कहीं दर्शाता है की भाजपा की अब कोई ठोस राजनीतिक आइडियोलॉजी बची ही नहीं, भाजपा इस बात को समझ चुकी है की द्रौपदी कार्ड खेलने के बाद भी आदिवासियों के वोट को अपनी तरफ करना भाजपा के लिए मुश्किल हो रहा है, इस में गेम चेंजर की भूमिका में हेमंत नजर आ रहे है , यही कारण है की भाजपा का मुख्य मकसद इंडिया एलायंस से हेमंत सोरेन को राजनीतिक मन मुटाव पैदा कर दूर करना है, मगर हेमंत ने जिस तरह से डट कर इन हालातों का सामना किया है इससे साफ संकेत मिलते है की हेमंत इण्डिया गठबंधन के साथ जुड़े रहेंगे !
Written By
Md Shahzeb Khan
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