Rahul Gandhi की Bharat Jodo Nyay Yatra जिस प्रदेश में जाती है वहीं से इंडिया ब्लॉक को एक झटका मिल रहा है. पश्चिम बंगाल में पहुंचते ही टीएमसी ने झटका दिया, बिहार में पहुंचते ही बिहार के मुख्यमंत्री और इंडिया गठबंधन के ऑर्किटेक्ट नीतीश कुमार खुद बाय-बाय बोल
दिए. झारखंड में एंट्री भी खराब रही, हेमंत सोरेन
को रिजाइन करना पड़ा, फिलहाल अब वो जेल में
हैं.Rahul Gandhi की भारत जोड़ो न्याय यात्रा अपने राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाते हुए प्रदेशों में एक तहलका मचा रही है। पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार और झारखंड तक, हर जगह इस यात्रा ने राजनीतिक चलचित्र को उलझा दिया है। इसी दौरान, उत्तर प्रदेश में भी इस गठबंधन की हालत ख़राब बताई जा रही है। जो लोग पहले गठबंधन की ताकत में थे, वे अब अलग राह तलाशने की बातें कर रहे हैं। यह तो बस एक आँधी के पहिये की शुरुआत है, जो इस चुनावी युद्ध में नए दांव पर लगाए जा रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का अनुमान है कि यूपी में भी इंडिया गठबंधन की खस्ता है.अनुमान है कि Rahul Gandhi के तथाकथित रामराज्य पहुंचते पहुंचते यहां भी खेला हो जाएगा. आरएलडी नेताओं में गठबंधन को लेकर जो रवैय्या दिख रहा है उससे तो यही लगता है. आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दकी तो बीजेपी नेताओं को कांग्रेस नेताओं के मुकाबले ज्यादा प्रोफेशनल बताते हुए नहीं थक रहे हैं. तो इसका मतलब क्या कांग्रेस नेता ही इंडिया गठबंधन के लिए असली खलनायक बन रहे हैं. शायद यही कारण है कि नीतीश कुमार के बाद एनडीए में जाने वालों की कतार लंबी होती जा रही है. तो क्या मान लिया जाए कि जयंत और उद्धव ठाकरे भी जल्द ही एनडीए के लिए खुशखबरी लेकर आएंगे?
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इंडिया गठबंधन के सबसे मंझे हुए किरदार कांग्रेस की ओर से होती देर को देखते हुए यूपी के पूर्व CM और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और RLD के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कुछ दिनों पहले ही अपनी ओर से सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया.19 जनवरी को हुए सीटों के बंटवारे में आरएलडी को सात सीटें मिलीं थीं. इस बीच आरएलडी नेताओं ने कहा कि अगर कांग्रेस और अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के बीच बातचीत विफल हो जाती है तो भी आरएलडी सपा के आंगन में रहेगी. पर अब चीजें बदलती हुईं दिख हैं. सोशल मीडिया पर एक बार फिर जयंत के एनडीए में जाने की अटकलें लगाईं जा रही हैं. इसका मुख्य कारण सीटों के नाम को लेकर होने वाला मतभेद बताया जा रहा है.
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रालोद के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि जयंत और अखिलेश जी ने अभी सीटों के नाम की घोषणा नहीं की है इसलिए रालोद को कौन सी सीटें मिलेंगी इस पर संशय बना हुआ है. इस कारण पार्टी के कुछ नेताओं में चिंता हो गई है. जो लोग रालोद के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं उनमें चिंता होना स्वभाविक है. पार्टी के एक अन्य नेता कहते हैं कि कुछ सीटों पर सहमति बन गई है जैसे कि हमें बागपत और मथुरा मिलेगा. लेकिन मेरठ, मुजफ्फरनगर, नगीना, आगरा हाथरस जैसी सीटों के लिए कोई निश्चितता नहीं है. इस बी आरएलडी के राष्ट्रीय महासचिवन अनुपम मिश्र बचाव करते हुए दिखते हैं. मिश्र कहते हैं कि पार्टी कैडर सभी सीटों पर काम कर रहा है और इस तरह के मुद्दे असर नहीं डालते हैं. बचाव में वो ये भी कहते हैं कि चाहे हमें कोई भी सीट मिले, हम जमीन पर तैयारी कर रहे हैं यही मायने रखता है. पर सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार गर्म है. जिस तरह की अफवाहें नीतीश कुमार के एनडीए में आने के पहले चलती रहती थीं.
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आरएलडी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने अभी 28 जनवरी को अपने ट्वीट में कांग्रेस नेताओं के जिस एरोगेंसी का वर्णन किया है उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. सिद्दीकी लिखते हैं कि कांग्रेस का सबसे बड़ा दुश्मन उसके नेतृत्व का अहंकार है. गांधी परिवार के बारे में भूल जाइए, इसके दूसरे, तीसरे पायदान के नेता इतना अहंकारी व्यवहार करते हैं कि उनसे संपर्क करना मुश्किल हो जाता है. दूसरी ओर, भाजपा में कोई अहंकार नहीं है और वह चुनावी लाभ के लिए अपने सबसे बड़े दुश्मनों से समझौता करने में देर नहीं करती.
Written by
Md Shahzeb Khan